4. कई दिनों तक चूल्हा रोया चक्की रही उदास।
कई दिनों तक चूल्हा रोया चक्की रही उदास।
जलने की चूल्हा भी थी ना दूर दूर तक आस।
फिर भी अपनी उम्मीदें छोड़ सके ना हम,
पानी पी के किया गुज़ारा भूख लगे या प्यास।
आया दिन चक्की चलने का चूल्हे में भी आग जली,
आख़िर कब तक रूठा रहता हम से ये विश्वास।
माना कुछ दिन क़िस्मत रूठी भूख प्यासे हम भी थे,
सबका एक दिन, दिन आता है रख जारी प्रयास।
फ़राज़ (क़लमदराज़)
S.N.Siddiqui
@seen_9807
*अधूरे मिसरे प्रतियोगिता*
Shashank मणि Yadava 'सनम'
07-Sep-2023 08:35 PM
बेहतरीन अभिव्यक्ति
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Swati chourasia
07-Jul-2023 07:33 PM
बहुत खूब 👌👌
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romantic queen 👑
05-Jul-2023 09:06 PM
Nice
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